ठंड में सिरदर्द की बढ़ती परेशानी: जानिए कारण, असर और बचाव के तरीके

Sun 28-Dec-2025,12:22 AM IST +05:30

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ठंड में सिरदर्द की बढ़ती परेशानी: जानिए कारण, असर और बचाव के तरीके Thand-Me-Sir-Dard
  • सर्दियों में सिरदर्द और माइग्रेन बढ़ने के कारण.

  • घरेलू और आयुर्वेदिक उपायों से राहत.

  • चिकित्सकीय सलाह और जीवनशैली में सुधार जरूरी.

Maharashtra / Nagpur :

AGCNN / सर्दियों का मौसम शुरू होते ही सिरदर्द और माइग्रेन की शिकायतें अचानक बढ़ जाती हैं। अस्पतालों और क्लीनिकों में इस दौरान ऐसे मरीजों की संख्या साफ तौर पर बढ़ती देखी जाती है, जो सिर भारी रहने, आंखों के आसपास दबाव, गर्दन में जकड़न और कभी-कभी तेज धड़कते दर्द से परेशान रहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों में सिरदर्द केवल ठंड लगने की वजह से नहीं होता, बल्कि इसके पीछे मौसम, शरीर की आंतरिक प्रक्रियाएं और जीवनशैली से जुड़े कई कारण जिम्मेदार होते हैं।

ठंड के मौसम में तापमान गिरने से शरीर की रक्त नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। जब ठंडी हवा सीधे सिर और चेहरे पर लगती है, तो मस्तिष्क तक जाने वाले रक्त प्रवाह में अस्थायी बदलाव होता है। इसी वजह से सिर में दर्द या भारीपन महसूस होता है। कई लोगों को सुबह-सुबह ठंडी हवा में बाहर निकलते ही सिरदर्द शुरू हो जाता है, जिसे आम भाषा में विंटर हेडेक कहा जाता है।

सर्दियों में प्यास कम लगना भी सिरदर्द का एक अहम कारण माना जाता है। पानी कम पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन की स्थिति बनती है, जिसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। मस्तिष्क के ऊतकों में खिंचाव आने से सिरदर्द की शुरुआत हो जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि सर्दियों में होने वाला सिरदर्द कई बार सिर्फ पानी की कमी का संकेत होता है, लेकिन लोग इसे ठंड की सामान्य समस्या समझकर अनदेखा कर देते हैं।

धूप की कमी भी इस समस्या को बढ़ाती है। सर्दियों में कम धूप मिलने से शरीर में विटामिन-डी का स्तर घट जाता है, जिससे मूड और दर्द को नियंत्रित करने वाले हार्मोन प्रभावित होते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि माइग्रेन के मरीजों में दर्द के दौरे बढ़ जाते हैं और सामान्य लोगों को भी बार-बार सिरदर्द की शिकायत होने लगती है।

ठंड के मौसम में लोग भारी कपड़े पहनकर लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठकर काम करते हैं। गलत बैठने की आदत, मोबाइल और लैपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल गर्दन और कंधों पर दबाव डालता है। इससे गर्दन से जुड़ा सिरदर्द पैदा होता है, जो धीरे-धीरे पूरे सिर में फैल सकता है। यही वजह है कि दफ्तर में काम करने वाले और देर तक मोबाइल देखने वाले लोगों में सर्दियों में सिरदर्द ज्यादा देखने को मिलता है।

सर्दी-जुकाम और साइनस की समस्या भी इस मौसम में आम हो जाती है। नाक बंद रहने और साइनस में सूजन आने से चेहरे और सिर के आसपास दबाव बनता है, जिससे दर्द तेज हो जाता है। कई बार यह दर्द माइग्रेन जैसा महसूस होता है और लंबे समय तक बना रहता है। इसके साथ ही सर्दियों में नींद का पैटर्न बिगड़ना और तनाव बढ़ना भी सिरदर्द को और गंभीर बना देता है।

आयुर्वेद के अनुसार सर्दियों में वात दोष बढ़ जाता है, जो सिरदर्द और माइग्रेन की मुख्य वजह बनता है। ठंडा, रूखा और भारी भोजन वात को और असंतुलित करता है। आयुर्वेदिक जानकार मानते हैं कि नियमित दिनचर्या, सिर की तेल मालिश, गुनगुना पानी पीना और पर्याप्त आराम सर्दियों में सिरदर्द से बचाव में मदद करता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि सर्दियों में सिर और कान ढककर रखें, पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें और रोज कुछ समय धूप में जरूर बैठें। संतुलित भोजन, समय पर नींद और तनाव से दूरी बनाकर सिरदर्द की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। यदि सिरदर्द बार-बार हो रहा हो या दर्द असहनीय हो, तो इसे नजरअंदाज करने के बजाय चिकित्सकीय सलाह लेना जरूरी है। सही सावधानी और जागरूकता अपनाकर सर्दियों के मौसम में सिरदर्द की परेशानी से बचा जा सकता है।